- चित्रकूट मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर मारकुंडी थाना क्षेत्र अंतर्गत तिकरिया ग्राम पंचायत के जमुणीहाई गांव के समीप अति धनघोर जंगल में स्थित विराध कुण्ड नाम की जगह से यह स्थान जाना जाता है।इस स्थान का रामायण व रामचरित मानस में पौराणिक उल्लेख भी है।बताया जाता है कि वनवास काल के दौरान भगवान श्री राम भ्राता लक्ष्मण व माता जानकी के साथ चित्रकूट से जब पंचवटी की ओर जा रहे थे तो उन्हें जंगल में विराध नमक राक्षस मिला जिससे उन्होंने वर्षों युद्ध किया चुकी विराध राक्षस को व्रंभा जी से वरदान मिला था कि उसे कोई साष्ट्रो से मारा नहीं जा सकता तभी भगवान राम जी ने अपने दिव्य अस्त्र का प्रयोग कर उसकी भुजाएं काट दी व भ्राता लक्ष्मण जी के साथ गड्ढा खोद कर उसी गड्ढे में विराध राक्षस को दफन कर दिया। आज पाताल रूपी गड्ढा इस जंगल में मौजूद है जिसे विराध कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इस स्थान तक आवागमन की सुविधा न होने के चलते आज भी यह स्थान विकास से कोसो दूर है