गाहुर के मूलचन्द्र शुक्ल को मिली दिल्ली में डॉक्टरेट की उपाधि
चित्रकूट
ब्यूरो रिपोर्ट – आशीष उपाध्याय
चित्रकूट। मूलचन्द्र शुक्ल को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नयी दिल्ली के दीक्षान्त समारोह में कार्यक्रम स्थल यशोभूमि कनवेन्शन सेण्टर,दिल्ली में पीएचडी (विद्यावारिधि)की उपाधि प्रदान की गई।
इसमें मुख्य अतिथि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू,अध्यक्षता कुलाधिपति धर्मेन्द्र प्रधान ,शिक्षा मन्त्री भारत सरकार एवं कुलपति प्रोफे. श्रीनिवास वरखेडी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,गंगानाथ झा परिसर,प्रयागराज के निदेशक, प्रोफेसर ललित कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में “समकालिक-संस्कृतगीतिकाव्यानां भाषाभावयोर्वैशिष्ट्यानुशीलनम्” इस संस्कृत विषय पर अपना शोधकार्य पूर्ण किया था।जिसके अन्तर्गत 1970 से लेकर आज तक के संस्कृत की गीत विधा पर लिखित रचनाओं का साहित्य एवं व्याकरण के पक्षों के दृष्टिगत उनके वैशिष्ट्य और अनुशीलन आदि पर विहंगम शोध प्रस्तुत किया गया है।
बता दें कि डॉ. शुक्ल जनपद चित्रकूट,थाना बरगढ के ग्राम गाहुर के मूल निवासी हैं।इनके पिता साधूशरण शुक्ल एक साधारण किसान हैं।इनकी तीन सन्तानों में ज्येष्ठ पुत्र प्रदीप शुक्ल प्राध्यापक,छोटा नरेन्द्र शुक्ल ठीकेदार एवं मध्यम पुत्र मूलचन्द्र शुक्ल 2014 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत के पद पर चयनित होकर वर्तमान में वरिष्ठ असि.प्रोफेसर संस्कृत विषय में उत्तराखंड के जनपद नैनीताल के पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर में कार्यरत हैं।
इन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता पिता, गुरुजनों,भाइयों,पत्नी आदि को दिया।पीएचडी की उपाधि मिलने पर प्राचार्य प्रोफेसर एम.सी.पाण्डे सहित कार्यस्थल एवं देश के अनेक लोगों ने शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं।