चित्रकूट के भण्डेवर में दफन हैं चन्देलयुगीन पुरावशेष – डॉ 0 संग्राम सिंह

चित्रकूट के भण्डेवर में दफन हैं चन्देलयुगीन पुरावशेष – डॉ 0 संग्राम सिंह

 

चित्रकूट। चित्रकूट अंचल का इलाका चंदेल शासकों के अधीन रहा है। यहां पर चंदेल शासकों द्वारा बनवाये गये मंदिर,किले, मूर्तियां,तडाग, बावलियां व अन्य खंडित पुरावशेष आज भी दर्शित हैं।आज ऐसा ही पुरावशेष इतिहासकार डॉ0 संग्राम सिंह को चित्रकूट के देवकली गांव के भण्डेवर में देखने को मिला है।यह स्थान पुरातत्त्व व इतिहास की दृष्टि से बहुत ही समृद्धशाली है।यह स्थान जिला मुख्यालय से प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग में जाने पर बगरेही गांव से पहले नहर से एक मार्ग देवकली गांव को जाता है।गांव से उत्तर दिशा से थोड़ी दूर जाने पर एक कच्ची सड़क के किनारे प्राचीन टीला दिखाई पड़ता है जिसमें चंदेल युगीन सभ्यता व संस्कृति का प्रमाण दबा है। इतिहासकार डॉ0 संग्राम सिंह ने प्रत्यक्ष अवलोकन के आधार पर बताया कि भण्डेवर नामक इस प्राचीन जगह में चंदेल कालीन पुरावशेष दबे हुए हैं। लगभगआधा किमी0के परिक्षेत्र में चंदेल कालीन खंडित मूर्तियों के पुरावशेष अधिसंख्य मात्रा में आज भी दबे हुए हैं।तमाम मूर्तियां तो खंडित हो गई हैं और कुछ मूर्तियां वहां से हटाकर गांव के एक देवी चबूतरे में संरक्षित कर दी गई हैं।मूलत:भण्डेवर का यह स्थल चंदेल मूर्ति स्थापत्य शिल्प का प्राचीन काल में महत्त्वपूर्ण केन्द्र रहा होगा। वहां मिल रहे पुरावशेष, खंडित मूर्तियां,विन्यास युक्त पाषाण,चक्र और अन्य पुरावशेष आज भी उस टीले में दबे हुए हैं। डॉ 0संग्राम सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्त्व विभाग विभाग के द्वारा अगर इस टीले का उत्खनन कराया जाए तो चंदेल युगीन सभ्यता संस्कृति , स्थापत्य- शिल्प व धर्म के बारे में भण्डेवर के पुरावशेषों के बारे में एक नई जानकारी प्राप्त होगी।भण्डेवर को देखने से ऐसा मालुम होता है कि यहां के टीले में ढेर सारी मूर्तियां दबी हुई हैं और यहां पर एक प्राचीन मंदिर रहा होगा और उसी ऐतिहासिक मंदिर का मलबा संरक्षित है।उसी मलबे में ढेर सारी मूर्तियां दफन हैं।इस स्थल की मूर्तियों को संरक्षित कराए जाने की महती आवश्यकता है।साथ ही उस भण्डेवर जगह को पुरातत्त्व दर्शाया संरक्षित कराए जाने की महती आवश्यकता है।शोध कार्य में डॉ यशवंत सिंह, डॉ बीडी सिंह व अवनीश मौजूद रहे।

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