घर में चूहा व छंछूदर से फैलता है संचारी रोग, करें बचाव के प्रभावी उपाय

  1. घर में चूहा व छंछूदर से फैलता है संचारी रोग, करें बचाव के प्रभावी उपाय

01 से 30 अप्रैल तक कृषि विभाग की तरफ से चलाये जा रहे संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत चूहा व छंछूदर नियंत्रण कार्यक्रम

चित्रकूट

किसान भाईयों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 01 से 30 तक जिले में चूहा नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा हैं । चूहा व छंछूदर से स्क्रब टायफस एवं लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी फैलती है । स्क्रब टायफस रोग ओरियेंटा सुत्सुगैमुसी नामक जीवाणु से होता है तथा चूहों द्वारा इसको फैलाया जाता है । इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार (102 से 104 डिग्री फारेनहाइट) व मष्तिष्क ज्वर, खॉसी, जुकाम, निमोनिया, प्लेटलेट्स की संख्या का अचानक घटना, लीवर, दिमाग, फेफड़ा आदि पर कई तरह का संक्रमण फैलने का खतरा होता है तथा शरीर पर निशान बन जाते हैं। इसका लक्षण दिखते ही तुरंत डाक्टर से सलाह लेना चाहिये । लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी गंदगी भरे वातावरण (जैसे मिट्टी एवं अस्वच्छ जल) से होता है एवं चूहों द्वारा फैलता है । इस रोग के कारण ठंड के साथ अचानक बुखार, मांसपेशी में तेज दर्द के साथ तीव्र सिर दर्द तथा कभी-कभी पेट दर्द भी होता है। लक्षण दिखते ही तुरंत डाक्टर से सलाह लेना चाहिये।
किसान भाई निम्न तरह से चूहे का नियंत्रण कर सकते है-
चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्का, कंक्रीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए ताकि उनको भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो सकें ।
चूहे अपना बिल, झाड़ियों, कूड़ों एवं मेड़ों आदि में स्थायी रुप से बनाते हैं। खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ-सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।
चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं – बिल्ली, साँप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एवं चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रुप में प्रयोग किया जाता है। इनको संरक्षण देने से चूहों की संख्या नियंत्रित हो सकती है ।
चूहेदानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे – रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फंसा कर मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है ।
घरों में ब्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिंदा बिल में रखने से चूहे उसको खाकर मर जाते हैं।
एल्युमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिंदा बिल में डालकर बिल बंद कर देने से उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहे मर जाते हैं ।
चूहा बहुत चालक प्राणी है । इसको ध्यान में रखते हुए छः दिवसीय योजना बनाकर इनको आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है:-
प्रथम दिन- आवासीय घरों एवं आस-पास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलों को बंद करते हुए चिन्हित करें ।
दूसरे दिन- निरीक्षण कर जो बिल बंद हों वहॉ चिन्ह मिटा दें, जहॉ पर बिल खुले पायें वहॉ चिन्ह रहने दें । खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 भाग भुने दाने का चारा बिना जहर मिलाये बिल में रखें ।
तीसरे दिन‌- बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखें ।
चौथे दिन- जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की 1.0 ग्राम मात्रा को 1.0 ग्राम सरसों का तेल एवं 48 ग्राम भुने दाने में बनाये बिल में रखें ।
पॉचवे दिन- बिलों का निरीक्षण करें एवं मरे हुए चूहों को एकत्र कर जमीन में गाड़ दें ।
छठे दिन- बिलों को पुनः बंद करें तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जायें तो उनमें एल्यूमिनियम फास्फाइड की 3-4 ग्राम मात्रा डालकर बिल बंद कर दें ।

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